मध्य प्रदेश में प्राचीन
काल से ही सांस्कृतिक संस्थाओं को महत्व दिया जाता है यहां पर साहित्यिक संस्थाओं
के साथ-साथ साहित्य अकैडमी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है राज्य में कला परिषद, साहित्य परिषद,हिंदी अकादमी व संस्कृति एकेडमी
प्रसिद्ध है प्रदेश सरकार ने इन्हें संरक्षित करने तथा कला एवं संस्कृति को बढ़ावा
देने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं की स्थापना की है सांस्कृतिक धरोहर की
दृष्टि से मध्यप्रदेश बहुत धनी है यहां पर मानव के आरंभिक योग से लेकर वर्तमान तक
सभी कालों की संस्कृति के साक्ष्य मिलते हैं !
भारत भवन भोपाल:- भारत भवन की स्थापना सृजनात्मक कलाओं के विकास परिरक्षण अन्वेषण प्रचार प्रसार एवं प्रोत्साहन के लिए की गई इस संस्था की स्थापना भारत भवन न्यास अधिनियम 1982 के अंतर्गत की गई इस भवन की डिजाइन प्रसिद्ध वस्तु विद्युत चार्ल्स कोरिया ने बनाई थी जब अन्य विभिन्न खंडों में विभक्त है जिनमें विभिन्न तरह की कलाओं से संबंधित संस्थाएं हैं इनमें रूपाँकर, वागर्थ,अनहद,रंगमंडल, ललित, आकार,आश्रम आती है !
रूपंकर:- इस खंड में
आदिवासी लोक कला एवं उन्हीं की परिष्कृत कला के नमूने रखे गए हैं जो सुघड एवं
अनपढ़ दोनों ही शैली के हैं यहां पर मूर्ति कला व धातु कला की सुविधा उपलब्ध है
यहां अनेक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियां भी आयोजित हो चुकी है !
वागर्थ:- इस कांड में
भारतीय भाषाओं की कविताओं का लिखित मुद्रित एवं भौतिक संग्रह किया गया है साथ ही
संगोष्ठी परिचर्चा एवं संवाद का भी आयोजन यहां पर होता रहता है !
रंगमंडल झारखंड नाट्यशाला
से संबंधित है इसके तीन खंड और भी हैं जो अंतरंग, बहिरंग,अभिरंग अंग कहलाते हैं देश
विदेश के कई प्रमुख नाटककार अपने प्रदर्शन यहां कर चुके हैं यहां नाटक से संबंधित
पुस्तकालय भी है !
आकर :- इस खंड में
ग्राफिक्स मूर्ति कला चित्रकला से संबंधित कर्मशाला स्थित है !
प्रकाशन :- साहित्य कला
समालोचना से संबंधित मासिक पूर्वाग्रह तथा ललित कलाओं की अंग्रेजी अनियतकालीन
पत्रिका बहुवचन का प्रकाशन
है !
मध्यप्रदेश कला परिषद :- यह
परिषद 1952 में अपने अस्तित्व में आई
इस का प्रमुख कार्य प्रदेश में संगीत नृत्य ललित कला रंगमंच आदि को प्रोत्साहन
देना एवं संवर्धन संरक्षण करना है इस परिषद में आयोजन की शुरुआत राष्ट्रीय नाट्य
समारोह से हुई इस परिषद के द्वारा मूर्तियों की प्रदर्शनी का आयोजन, खजुराहो नृत्य समारोह,का आयोजन,तानसेन समारोह ग्वालियर, एवं काष्ठ शिल्प आधारित
कृतियों का प्रदर्शन किया जाता है !
मध्य प्रदेश साहित्य परिषद
:- मध्य प्रदेश साहित्य परिषद की स्थापना 1954 में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा की गई ! इसका मुख्य उद्देश्य
साहित्य की उन्नति और विकास में उत्प्रेरक का काम व साहित्यकारों का सम्मान तथा
श्रेष्ठ कृतियों को पुरस्कृत करना है परिषद की गतिविधियों में प्रमुख पुरस्कारों
की स्थापना व पुरुस्करण,सम्मान समारोह, चर्चा गोष्ठियां एवं प्रकाशन !
मध्यप्रदेश आदिवासी लोक कला
परिषद :- 1980 में इस परिषद की स्थापना की
गई यह परिषद वह आदिवासी लोक संगीत लोक नृत्य और लोक नाट्य तथा आदिवासी साहित्य के
संरक्षण दस्तावेजीकरण तथा विकास का दायित्व का निर्वहन करती है साथ ही यह परिषद
लोक कला के प्रदर्शन के लिए संपदा,लोकरंग, लोकरंजन, राष्ट्रीय रामलीला मेला, जगार, लोकोत्सव, नाच समारोह, कबीर समारोह आदि का आयोजन
करती है !
कालिदास अकादमी उज्जैन :-
कालिदास अकादमी की स्थापना मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में 1977 में की गई एकेडमी का मुख्य कार्य नृत्य और संगीत
प्रशिक्षण,कला प्रदर्शनियां, संगीत, नृत्य, शोध,लोक कलाएं, संगोष्ठियां परिषद,
सम्मेलन एवं अनुशीलन एवं
प्रकाशन करना है यह एकेडमी कालिदास समारोह का आयोजन करती है !
उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत
अकादमी:- इसकी स्थापना 1979 में की गई !यह अकादमी
उस्ताद अलाउद्दीन खां की स्मृति में भारतीय शास्त्रीय संगीत के संरक्षण संवर्धन और
विस्तार के लिए कार्य करती है साथी अकादमी शास्त्रीय संगीत, नृत्य के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करती है अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष
मैहर में अलाउद्दीन खान समारोह का आयोजन किया जाता है अकादमी गंधर्व समारोह, देवास चक्रधर समारोह रायगढ़ का भी आयोजन करती है !
मध्य प्रदेश संस्कृत
अकादमी:- संस्कृत साहित्य को प्रोत्साहन और संरक्षण प्रदान के उद्देश्य से इस
अकादमी की स्थापना 1984 में की गई संस्कृत साहित्य
को बढ़ावा देने के लिए अकादमी व्याख्यान, परिचर्चा,समारोह, संगोष्ठी, एवं पुरस्कार का आयोजन करती है !